डिप्रेशन के इम्प्रेसन से बचने के लिए
इस ब्लॉग को पूरा अवश्य पढ़ें——–
इस बदलते दौर में,हर पल बदलती दुनिया से दुखी होकर किसी भावुक शायर ने खुदा से प्रार्थना की है कि-
एक दिमाग वाला दिल,
मुझे भी दे दे ए खुदा…
ये दिल वाला दिल,
सिर्फ तकलीफ़ ही देता है…
अवसाद (डिप्रेशन) क्या है?..……
डिप्रेशन भय-भ्रम को वास्तविक बनाता है
यह दिमाग में होने वाला एक रासायनिक
असंतुलन है जो छलकर भ्रमित करता है।
डिप्रेशन थायराइड (ग्रंथिशोथ) जैसे रोग एवं 88 प्रकार के वात-विकारों का जन्मदाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डव्लू एच ओ WHO)
दुनिया को चेताया है कि युवा पीढ़ी यानि नई जनरेशन अब डिप्रेशन के डर से बहुत डरी हुई है। देश-दुनिया में विपरीत परिस्थितियों के कारण लोगों में दिनों-दिन डिप्रेशन दोगुनी गति से बढ़ता ही जा रहा है।
डिप्रेशन का दुष्प्रभाव-
वर्तमान समय में हर कोई परेशान है।
किसी भी काम या चीज में मन न लगना, कोई रुचि न होना, किसी भी तरह की खुशी का एहसास न होना, यहां तक गम का भी अहसास न होना अवसाद ( डिप्रेशन) के लक्षण हैं।
नकारात्मकता भी एक कारण है-
अवसाद एक तरह से व्यक्ति के दिमाग को प्रभावित करता है। इसके कारण व्यक्ति हर समय नकारात्मक सोचता रहता है। जब यह स्थिति चरम पर पहुंच जाती है तो व्यक्ति को अपना जीवन निरूद्देश्य लगने लगता है। इसके अलावा हमेशा हीन भावना से ग्रस्त होना अवसाद या डिप्रेशन का मुख्य लक्षण हो सकता है।
मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर, अवसाद का एक ऐसा प्रकार है, जिससे बहुत सारे लोग प्रभावित होते हैं। इस अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति में मिश्रित लक्षण नज़र आते हैं और यह अवसाद रोगी के काम करने, सोने, पढ़ने, खाने और आनंद लेने की क्षमता को प्रभावित करके कामकाज में प्रभाव डालता है
मनोविकारों पर रिसर्च करने वाले मनोवैज्ञानिकों ने अवसाद का कारण बढ़ती
बेरोजगारी औऱ बीमारी, जिम्मेदारी को बताया है। इससे सिर में भारी तनाव,चिन्ता होने से व्यक्ति अवसाद के चंगुल में उलझ जाता है। तत्पश्चात डिप्रेशन से पीड़ितों की समझदारी,
होशियारी कम होकर आगे की तैयारी नहीं हो पाने से अंत में हिम्मत टूट जाती है। सुकून नष्ट हो जाता है। व्यक्ति गुमसुम रहने लगता है। तभी,तो किसी ने लिखा कि-
ज़िन्दगी की थकान में गुम हो गए,
वो लफ्ज़ जिसे सकुन कहते हैं।

वैज्ञानिकों की खोज-
“डिप्रेशन एवं अन्य सामान्य
मानसिक विकार-विश्व स्वास्थ्य आंकलन”
शीर्षक वाली जांच (रिपोर्ट) से ज्ञात हुआ है कि
पूरी दुनिया में भारत अवसाद (डिप्रेशन) अर्थात मानसिक रोग से पूरी तरह प्रभावित देशों में से एक है। हिंदुस्तान में डिप्रेशन (अवसाद) तीव्र गति से बढ़ रहा है। 20 करोड़ से भी अधिक भारतीय भयंकर मानसिक विकार तनाव,
अशान्ति और भय-भ्रम,चिंता से पीड़ित हैं।
अतः घबराएं नहीं आयुर्वेद में इसका शर्तिया इलाज है।
डिप्रेशन (अवसाद),चिन्ता, तनाव,अनिद्रा
दूर कर दिमाग को ऊर्जा-उमंग देने वाली देशी दवाई ब्रेन की गोल्ड मााल्ट & टैबलेट
(हर्बल मेडिसिन) नियमित उपयोग करें।
दिमाग की चाबी है-ब्रेन की गोल्ड
एक ऐसी देशी दवा है जो दिमाग के
बन्द दरवाजे खोलकर डिप्रेशन,तनाव को तबाह
कर सकता है।बहुत लंबे समय तक थकावट, सुस्ती,आलस्य,चिन्ता, घबराहट, बैचेनी,
तनाव को दूर करने में यह पूरी तरह लाभदायक
आयुर्वेदिक औषधि है।
मनोविज्ञान एवं आयुर्विज्ञान
का मानना है कि अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों
(मन के भाव) संबंधी दुःख-तकलीफों से माना जाता है। इसे मानसिक विकार या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है।
चिंता, डिप्रेशन है क्या–
लगातार तनाव में रहना,दुःखद या शोकपूर्ण विचार,फिक्र,खटका,खुटका,सदैव चिन्तामग्न रहना,चिन्तातुर,चिंतित रहना,आदि से मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
चिन्ता-भय,भ्रम का बना रहना,कुछ भी पॉजिटिव न सोच पाना आदि विचारों से घिरे हुए हैं,तो कहीं न कहीं आप अवसाद की डगर पर जाने को तैयार बैठे हैं। आपका मन विचलित हो रहा है। जीने की इच्छा शक्ति क्षीण होती जा रही है।
अमृतम आयुर्वेद एवं आयुर्विज्ञान मनोचिकित्सकों की नई जानकारियों से ज्ञात हुआ है कि कोई भी व्यक्ति अवसाद की अवस्था में स्वयं को कमजोर,हीन, लाचार और निराश महसूस करता है। जिंदगी से हार मान लेता है। अवसाद या डिप्रेशन से व्यथित व्यक्ति-विशेष के लिए धन-संपदा,ध्यान-कर्म,सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि रिलेटिव या रिश्तेदार,मित्र-यार,परिवार या अन्य कोई संबंध( रिलेशन) तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा,चिन्ता, फ़िक्र, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है।

अमृतम आयुर्वेद के अनुसार अवसाद-यह एक मनोदशा विकार है। इसे मानसिक रोग भी कहा जाता है।जब किसी व्यक्ति में बहुत लम्बे समय तक चिन्ता की स्थिति बनी रहती है तो वह ‘‘अवसाद’’ या विषाद का रूप ले लेती है। अवसाद या डिप्रेशन की स्थिति में व्यक्ति का मन बहुत ही उदास रहता है तथा उसमें मुख्य रूप से निष्क्रियता,शिथिलता,जिद्दीपन, अकेले रहने एवं आत्महत्या के प्रयास करने की प्रवृत्ति पायी जाती है। ऐसा अवसादग्रस्त व्यक्ति स्वयं को दीन-हीन, निर्बल मानकर जिन्दगी को बेकार समझने लगता है।
तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोन का स्तर बढ़ता जाता है, जिनमें एड्रीनलीन और कार्टिसोल प्रमुख हैं। लगातार तनाव की स्थिति अवसाद में बदल जाती है। अवसाद एक गंभीर स्थिति है। बल्कि इस बात का संकेत है कि आपका तन-मन,मस्तिष्क और जीवन असंतुलित हो गया है। अवसाद
(डिप्रेशन) मानसिक बीमारी है।
लालन-पालन की कमी औऱ पारिवारिक परिस्थितियां भी जिम्मेदार है
अवसाद या डिप्रेशन के लिए-
“इसे पढ़ना बहुत जरूरी है”
डिप्रेशन (अवसाद) के भौतिक औऱ बाहरी कारण भी अनेक हो सकते हैं। इनमें कुपोषण, आनुवांशिकता, कष्ट-क्लेश कारक,दुःख दायक परिस्थितियों में जीवन यापन करना,हार्मोन व विटामिन की कमी,मौसम, सीजन का भी एक डिप्रेशन होता है जैसे बहुत से लोग ज्यादा गर्मी या सर्दी नहीं झेल पाते।अकेलापन, फालतू की चिंताएं, घबराहट,तनाव, बार-बार की बीमारी, नशा, अपने दिल की बात किसी को बता नहीं पाना, किसी काम में मन न लगना, ज्यादा क्रोधित रहना,आत्मविश्वास का टूट जाना, हीनभावना आना,अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ,त्वचारोग,
स्वास्थ्य की चिन्ता,हमेशा रोगों से घिरे रहना
आदि प्रमुख हैं। कुछ लोग बहुत निराश होकर इतने टूटजाते हैं, इसके लिए किसी ने कहा है-
हकीम से क्या पूछें,
इलाज-ए-दर्दे दिल।
मर्ज जब जिंदगी खुद ही हो,
तो दवा कैसी, दुआ कैसी।
इनके अतिरिक्त अवसाद से पीड़ित 85 फीसदी लोगों में अनिद्रा यानि समय पर नींद न आने की समस्या होती है। मनोविश्लेषकों तथा मनोवैज्ञानिकों के अनुसार अवसाद (डिप्रेशन) के कई औऱ भी अनेक कारण हो सकते हैं। यह मूलत: किसी व्यक्ति की सोच की बनावट,उसकेेया विचारधारा, उसके मूल व्यक्तित्व अथवा परिवार की परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है।
अमृतम आयुर्वेद एवं
आयुर्वेद की सहिंताओं के अनुसार अवसाद (डिप्रेशन) असाध्य रोग नहीं है। इसके पीछे जैविक, आनुवांशिक और मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक कारण हो सकते हैं। यही नहीं जैवरासायनिक असंतुलन, के कारण भी कोई कोई अवसाद (डिप्रेशन) की लपेट में आ जाता है। वर्तमान में डिप्रेशन से पीड़ित होकर अनेकों लोग सोसाइड (आत्महत्या) तक कर रहे हैं। इसलिए परिवार के लोगों को सदैव परिजनों की रक्षा-सुरक्षा के लिये चैतन्य व सजग रहना जरूरी है।
अकेले हैं,चले आओ-जहाँ हो-
ध्यान रखें कि परिवार (फेमिली)का कोई सदस्य (मेम्बर) बहुत समय तक गुमसुम,उदास,चुपचाप रहता है, अपना अधिकतम समय अकेले में बिताता है, निराशा से भरी निगेटिव बातें करता है, तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक (साइक्लोजिस्ट)
को दिखाएं। अकेले में न रहने दें। हंसाने की कोशिश करें। उसके साथ मस्ती करें।
पुरानी पिक्चर दिखाएं। तारीफ करें। मनोबल को बढ़ाने वाली पुरानी बातें करें। दिन में 1 से 2 घंटे परिवार के सभी सदस्य साथ रहें।
मॉर्निंग वॉक, योग करावें।देशी दवाओं देशी उपायों एवं दुआओं का सहारा लेवे।
शुद्ध देशी जड़ीबूटियों से निर्मित आयुर्वेदिक दवा ब्रेन की गोल्ड माल्ट औऱ टेबलेट
का सेवन करना चालू करें।
कैसे बचें डिप्रेशन से–
रोज-रोज का ज्यादा क्रोध करना भी डिप्रेशन का कारण हो सकता है।
म्यूजिक सुनें, फ़िल्म देखें, कोई खेल खेलें, दोस्तों या परिवार के साथ या अपने किसी खास दोस्त के साथ गप्पे लड़ाएं या कही घूमने जायें या किसी अन्य गतिविधि में लिप्त हों जिसमें आपका मन लगता हो।
डिप्रेशन में जाने के क्या कारण है-
घर-परिवार,समाज औऱ देश की विपरीत परिस्थितियों की वजह से लोग दिशाहीन होते
जा रहे हैं। वर्तमान में तेज़ गति से युवाओं में बढ़ता डिप्रेशन का क्या कारण हैं?
प्राकृतिक नियम-धर्म,संस्कारों से विमुख होना।
अन्य औऱ भी पारिवारिक,पुरुषार्थ की कमी,स्त्रियों के रोग,सुन्दरता में कमी, बालों का लगातार झड़ना व पतला होना,थायरॉइड, धन की तंगी आदि समस्याएं तनाव,चिन्ता, डिप्रेशन
वृद्धि में सहायक है। कहीं-कहीं द्वेष-दुर्भावना,स्वार्थ तथा बुरा समय भी डिप्रेशन पैदा कर देता है,तभी तो किसी मस्त-मौला ने कहा है-
दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की
लोगो ने मेरे घर से रास्ते बना लिए
क्यों होता है अवसाद (डिप्रेशन)
■ रसराज महोदधि,
■■ शालाक्य विज्ञान,
■■■ भैषज्य रत्नसार,
■■■■ मन की संवेदनाएँ
■■■■■ चरक व सुश्रुत संहिता आदि आयुर्वेद के प्राचीन प्रसिद्ध ग्रंथों में अवसाद (डिप्रेशन) के लिए ढेर सारा लिखा पड़ा है।
निम्न कारण हो सकते हैं डिप्रेशन के-
●● सहनशीलता में कमी
●● बढ़ती महत्वकांक्षा
●● धैर्य व सयंम न होना
●● अपनी तकलीफों को छुपाना
●● पारिवारिक मूल्यों का पतन
●● रिश्तों में दिखावा
●● दुःख के समय मजाक उड़ाना
●● परीक्षा या कॉम्पटीशन में फेल होना
●● युवा पीढ़ी का परिवार, माता-पिता एवं समाज से दूर रहना।
●● स्वयं को स्वीकार न करने की कुंठा
●● सामाजिक उपेक्षा
●● खुद को कमजोर व गिरा हुआ समझना,
●● बार-बार असफलता
●● रात में पूरी नींद न लेना
●● नशे की बढ़ती प्रवृत्ति
●●निगेटिव सोच,सपने बड़े,
●● आर्थिक तंगी,धन की कमी
●● रोगों का भय,बढ़ती बीमारी,
●● परिवार की चिंता
●● बेशुमार बेरोजगारी
●● धोखा, छल,कपट,वेवफ़ाई
●● कहीं-कहीं नारी की बलिहारी
●● कभी-कभी पुरुषों की कारगुजारी
●● सयंम न होना,जल्दबाजी
●● अपनो से या इश्क-प्यार में धोखा आदि डिप्रेशन(अवसाद) का प्रमुख कारण है।
नामुमकिन है इस दिल को समझ पाना !
दिल का अपना अलग ही दिमाग होता है !!
भारत में दिनोदिन सुरसा के मुख की तरह
नई पीढ़ी में बढ़ता डिप्रेशन का डर बहुत ही
तनाव या चिंता का विषय है।

क्यों बढ़ रहा है डिप्रेशन-
जब हम अबाधित सुख के लिए बेचैन होकर इधर-उधर सिर पटक-पटक कर भटक जाते हैं,तो हमारी मस्तिष्क कोशिकाएं ढीली या शिथिल होने लगती हैं। काम कम करना,
सोचना ज्यादा यह प्रवाह बेलगाम होता है।
जब मन वासनात्मक होकर वासनाभांड अर्थात इच्छाओं के कुम्भ से टकराता है,जिसमें नई प्रतिक्रिया जन्म लेती है। यह डिप्रेशन का गर्भ धारण कहलाता है।
आयुर्वेद के अनुसार अवसाद की आहट –
■ तमोगुण,रजोगुण हमारी चेतना शक्ति क्षीण कर देते हैं,तब होता है अवसाद।
■■ अधिक आराम और आलसी जीवन
आमोद-प्रमोद की ओर आकर्षण।
■■■ अपार आज़ादी के चलते, जब अंदर का असीम आनंद का अनुभव त्याग जब हम बाहर की वस्तुओं से ओत-प्रोत हो जाते हैं,तब
हम अवसादग्रस्त हो जाते हैं।
ज्यादा बतूनापन यानी बहुत बोलने की आदत
भी मन को तनावपूर्ण बनाता है।
पहले कहते थे कि
“चट्टो बिगाड़े 2 घर,
बततो बिगाड़े 100 घर”
अर्थात-कटोरा आदमी दो ही घर या परिवार खराब करता है, लेकिन बतूना आदमी 100 घरों को बर्बाद कर सकता है।
अवसाद से बाहर निकलने के लिये-
ब्रेन की गोल्ड माल्ट & टेबलेट में मिलाए गए घटक-द्रव्य प्रसन्नता से लबालब कर देते हैं। इसका फार्मूला 500 वर्ष पुराने
“अर्कप्रकाश” वैद्य कल्पद्रुम
जैसे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथो से लिया गया है
जो ब्रेन की कमजोर ग्रन्थियों को जाग्रत
कर “अवसाद का अंत” कर देता है।
डिप्रेशन के शारीरिक लक्षण-
सिरदर्द,कब्ज एवं अपच,मेटाबोलिज्म का बिगड़ना,पाचन तंत्र कमजोर होना,छाती में दर्द,मधुमेह (डाइबिटीज),बवासीर (पाइल्स),गले में दर्द व सूजन,अनिद्रा भोजन में अरूचि, पूरे शरीर में दर्द हमेशा कुछ न कुछ सोचते रहना,घबराहट, एंजाइटी एवं थकान इत्यादि।
2-प्रकार के डिप्रेशन-
डिप्रेशन या अवसाद को मनोवैज्ञानिकों एवं अमृतम आयुर्वेद के मनोचिकित्सकों ने दो श्रेणियों में विभक्त किया है-
■ प्रधान विषादी विकृति-
इसमें व्यक्ति एक या एक से अधिक अवसादपूर्ण घटनाओं से पीड़ित होता है। इस श्रेणी के अवसाद (डिप्रेशन) में अवसादग्रस्त रोगी के लक्षण कम से कम दो सप्ताह से रहे हों।
■ डाइस्थाइमिक डिप्रेशन-
इसमें विषाद की मन:स्थिति का स्वरूप दीर्घकालिक होता है। इसमें कम से कम एक या दो सालों से व्यक्ति अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यो में रूचि खो देता है तथा जिन्दगी जीना उसे व्यर्थ लगने लगता है।
ऐसे व्यक्ति प्राय: पूरे दिन अवसाद की मन:स्थिति में रहते है। ये प्राय: अत्यधिक नींद आने या कम नींद आने, निर्णय लेने में कठिनार्इ, एकाग्रता का अभाव तथा अत्यधिक थकान आदि इन समस्याओं से पीड़ित रहते हैं।
कैसे निपटे अवसाद से-
★★ अवसाद से परेशान पीड़ितों का मजाक न बनाकर उनके प्रति अपनापन का भाव
पैदा करें
★★ डिप्रेशन से पीड़ितों के प्रति
संवेदनशील बने।
★★ “प्यार बांटते चलो” वाली पुरानी विचारधारा से काफी हद तक डिप्रेशन को कम किया जा सकता है।
★★ ईश्वर की दुआ औऱ अमृतम की
आयुर्वेदिक देशी दवा भी डिप्रेशन मिटाने के लिए बहुत फायदेमन्द है।
आँसू हैं अवसाद है
सब प्रभु का प्रसाद है
ये सोच भी आपमें हिम्मत भर सकती है।
★★ योग,व्यायाम, प्राणायाम,सुबह का घूमना,
दौड़ना,अच्छे साहित्य का अध्ययन,सत्संग अर्थात अच्छे लोगों का संग,समाज सेवा,
समय पर काम निपटाना, आलस्य का त्याग,
सकरात्मक सोच, कैसे भी व्यस्त रहना,
सात्विक भोजन, खर्चे में कटौती, लेखन,
प्रेरक कहानियां पढ़ना,दिव्यांग व गरीबों की सेवा,असहाय बच्चों को पढ़ाना,ध्यान करना,
घर,आफिस,मन्दिर,मस्जिद,गुरुद्वारे की साफ-सफाई औऱ देखभाल करना। आदि में व्यस्त
रहकर समय को खुशी के साथ बिताया जा सकता है। डिप्रेशन के ऑपरेशन हेतु
ब्रेन की गोल्ड माल्ट & टेबलेट
जैसी कोई देशी दवा नही है।
मानसिक शांति की गारंटी हेतु इसे आयुर्वेद ग्रंथों में लिखे फार्मूले से बनाई गई है जो मन को मिलिट्री की तरह मजबूत बनाने के लिए बेहतरीन ओषधि है। यह डिप्रेशन के दाग को पूरी तरह धो देता है।इसे शुद्ध देशी जड़ीबूटियों जैसे ब्राह्मी,शंखपुष्पी,जटामांसी से निर्मित
किया है इसे औऱ अधिक असरदार बनाने के लिए इसमें स्मृतिसागर रस मिलाया गया है।
अश्वगंधा आयुर्वेद की बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट मेडिसिन है।
शतावर मस्तिष्क में रक्त के संचार
को आवश्यकता अनुसार सुचारू करता है।
बादाम से डिप्रेशन तत्काल दूर होता है।
याददास्त बढ़ाता है
प्रोटीन,विटामिन, मिनरल्स की पूर्ति हेतु
ब्रेन की में आँवला, सेव,गुलाब,त्रिकटु
का मिश्रण किया गया है।
आयुर्वेद के उपनिषद बताते हैं कि-जीवन की जटिलताओं,मस्तिष्क के रोग-मानसिक विकारों से बचने के लिए आयुर्वेद ही
पूरी तरह सक्षम है। देशी दवाएँ स्थाई इलाज के लिये बहुत जरूरी है।
अब,अवसाद का अन्त…तुरन्त……
मानसिक रोग,अवसाद (डिप्रेशन) को
“अमृतम आयुर्वेद चिकित्सा” से ठीक किया जा सकता है। वर्तमान में दिमाग की दीमक को मारकर मन चंगा,तन की तंदरुस्ती
एवं ब्रेन को तेज कर ताकतवर बनाने के लिए
तथा जीवन खुशनुमा बनाने के लिए देशी दवाएँ बहुत कारगर सिद्ध हो रही हैं। आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार मष्तिष्क को राजा औऱ शरीर की कोशिकाओं को सेना माना गया है। यदि राजा दुरुस्त है- मजबूत है,तो दुश्मन हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट एवं टेबलेट
आयुर्वेद के नये योग से निर्मित नये युग की अवसाद नाशक,डिप्रेशन दूर करने के लिए एक नई विलक्षण हर्बल मेडिसिन है। यह
सपने सच करने का साथी है।
अब आपके अनुभव से
बनेगा नया आयुर्वेद–
आयुर्वेद के इतिहास में अमृतम एक नया नाम है। नया अध्याय है। क्योंकि इस समय की खतरनाक बीमारियों से मुक्ति पाने तथा पीछा छुड़ाने के लिए आयुर्वेद की पुरानी परम्पराओं को परास्त करना जरूरी है।
ब्रेन की गोल्ड-मानसिक शांति हेतु 24 कैरेट गोल्ड प्योर हर्बल मेडिसिन फार्मूला है जिसे खोजा है-अमृतम ने प्राचीन 50 किताबों से। मन को बेचैन करने वाली क्रियाहीन कोशिकाओं को क्रियाशील बनाता है।
अमृतम की हर्बल दवाएँ सभी के लिए स्वास्थ्य
की रक्षक औऱ दिमाग का सेतु है। हमारा विश्वास है कि दिमागी केे विकारों में
ब्रेन की का चयन ही आपको चैन देगा।

दिमाग की चाबी है-ब्रेन की गोल्ड
नवयुवकों-युवतियों अर्थात न्यू जनरेशन डिप्रेशन के इम्प्रेसन से दुखी है,तो इसे
सुबह खाली पेट गर्म दूध के साथ लेवें,
अन्यथा गर्म पानी में मिलाकर चाय की तरह भी ले सकते है। इसे दिन में 3 से 4 बार तक लिया जा सकता है।
निवेदन-हम अमृतम की लाइब्रेरी में स्थित
15 से 20 हजार पुरानी किताबों के किवाड़
खोलकर ब्लॉग चुनते हैं जिन्हें वैज्ञानिक कसौटी पर भी परख सकते हैं।
आयुर्वेद की प्राचीन परम्पराओं को समझने,
पढ़ने औऱ ज्ञान से परिपूर्ण होने के लिए
अमृतम के लेख का अध्ययन आवश्यक है।
यदि पसन्द आएं,तो उन्हें लाइक,कमेंट्स,
शेयर करने में कतई कंजूसी न करें।
–खुश रहने का फंडा
जब किसी को बहुत समझाने के बाद भी वह अपने मन की करे,तो उसे अपने हाल पर छोड़ देना चाहिए। उसकी ज्यादा चिन्ता,फ़िकर नहीं करना चाहिए। यह पुराने अनुभवी लोगों की नसीहत है। इसीलिए कहा गया कि-
बहते को बह जाने दे,
मत बतलावे ठौर।
समझाए समझे नहीं,
तो धक्का दे-दे और।।
केवल काम के आदमी के साथ रहो।
भिंड-मुरैना की एक ग्रामीण तुकबंदी है।
बारह गाँव का चौधरी,
अस्सी गाँव का राव।
अपने काम न आये तो,
ऐसी-तैसी में जाओ।।
कभी हिम्मत न हारें,हिम्मत से काम लेवें
हारा मन इशारा कर रहा है-
मन के हारे हार है,
मन के जीते जीत।
पारब्रह्म को पाइए,
मन ही की परतीत।।
अर्थात- कभी भी निराश नहीं होना चाहिए।
यह सूक्ति हजारों साल पुरानी है।
सूफी कहावत है-
खुद को कर बुलंद इतना कि,
खुदा वन्दे से पूछे-बता तेरी रजा क्या है।
अर्थात-अपना आत्मविश्वास औऱ प्रयास
ऐसा हो कि खुद, खुदा आकर हमारी हर
मुराद पूरी करे।
एक अद्भुत ज्ञानवर्द्धक कहानी-
परम सन्त भक्त रैदास का नाम,तो आपने सुना ही होगा। उनकी यह कहावत विश्व प्रसिद्ध है-
“मन चंगा,तो कठौती में गंगा”
इसका सीधा सा अर्थ यही है कि-
अगर मन शुद्ध है अथवा यदि शरीर स्वस्थ्य-
तन तंदरुस्त है,तो घर में ही गंगा है।
एक बेहतरीन किस्सा
कहते हैं कि एक बार सन्त रैदास ने कुछ
यात्रियों को गंगास्नान के लिए जाते देख,
उन्हें कुछ कौंडियां देकर कहा कि इन्हें माँ
गंगा को भेंट कर देना,परन्तु देना,तभी जब
गंगा जी साक्षात प्रकट होकर कोढ़ियाँ
ग्रहण करें।
तीर्थ यात्रियों ने गंगा तट पर जाकर,स्नान के समय स्मरण करते हुए,कहा कि- ये कुछ कोढ़ियाँ सन्त रैदास ने आपके लिए भेजी हैं,आप इन्हें स्वीकार कीजिये। माँ गंगा ने हाथ बढ़ाकर कोढ़ियाँ ले लीं
औऱ उनके बदले में सोने (गोल्ड) का एक कंगन “सन्त रैदास” को देने के लिए दे दिया।
यात्रा से लौटकर यात्री गणों ने-वह कंगन रैदास के पास न ले जाकर राजा के पास ले गए औऱ उन्हें भेंट कर दिया।
रानी उस कंगन को देखकर इतनी विमुग्ध हुई की उसकी जोड़ का दूसरा कंगन मंगाने का हठ कर बैठी, पर जब बहुत प्रयत्न करने के बाद भी उस तरह का दूसरा कंगन नहीं बन सका,तो राजा हारकर रैदास के पास गए औऱ उन्हें सब वृतांत सुनाया।
‘भक्त रैदास जी‘ ने गंगा का ध्यान करके
अपनी कठौती में से,उस कड़े की जोड़ी
निकाल कर राजा को दे दी।
कठौती किसे कहते हैं-
जिसमें चमार (जाटव) चमड़ा भिगोने के लिए पानी भर कर रखते हैं। ज्ञात हो कि सन्त रैदास चर्मकार (चमार) जाति के थे।
मन के मुहावरे..…
■ मनवाँ मर गया,खेल बिगड़ गया
यानि हिम्मत हारने से कम बिगड़ जाता है
■ मन के लड्डू खाने से भूख नहीं मिटती!
यानि- केवल विचारने या सपने देखने
से काम नहीं चलता। यह भी डिप्रेशन
का कारण बनता है।
■ मन के लड्डू फोड़ना!
मतलब यही है कि हवाई महल
बनाने से जीवन नहीं कटता।
■ मन उमराव, करम दरिद्री
अर्थात-इच्छाएं तो बड़ी हैं पर भाग्य खोटा।
■ मन करे पहिरन चौतार,
कर्म लिखे भेड़ी के बार।
चौतार का अर्थ है बढ़िया मखमल।
कहने का आशय यही है कि मन,तो मखमल पहनने का करता है,पर किस्मत में
भेड़ी के बाल की बनी स्वेटर पहनना लिखा है,तो क्या करें।
तन के अस्वस्थ्य होने पर एक
कहावत पुरानी है।
■ मन चलता है,पर टट्टू नहीं चलता।
अर्थात- इच्छाएं तो बहुत हैं पर शरीर साथ नहीं देता या शरीर किसी काम का नहीं रहा।
■ मन के लिए श्रीरामचरितमानस (रामायण)
का एक दोहा भी ज्ञानवर्द्धक है-
मन मलिन,तन सुन्दर कैसे,
विष रस भरा कनक घट जैसे। (तुलसी)
भावार्थ- मन की मलिनता अनेक रोगों की जन्मदाता है। कनक का अर्थ स्वर्ण या सोने से है। मन की पवित्रता से ही तन स्वस्थ्य रह सकता है।
■ मन की अशांति हो अलविदा
रहस्योपनिषद के अनुसार–
मन की अशान्ति, तनाव अनेक मानसिक विकारों को आमंत्रित करती है। मन को शान्त रखने का प्रयास करें।
■ प्रयास से ही प्राणी वेद व्यास
जैसा ज्ञानी बन पाता है।
■ दुःख,तो दूर हो सकता है किन्तु भय से भरे
व्यक्ति की रक्षा कोई कर ही नहीं सकता।
■ मस्तिष्क में जागरूकता बढ़ाये
ब्रेन की भुलक्कड़पन दूर कर बुद्धि को तेज़ औऱ याददास्त (मैमोरी) वृद्धिकारक है।
◆ मनोरोगियों,मिर्गी,पागलपन से पीड़ित
व्यक्तियों के दिमाग में कमजोर रक्तग्रंथियो में रक्तसंचार सुचारू कर दिमाग की शिथिल कोशिकाओं को जाग्रत करना इसका मुख्य कार्य है।
अध्ययन रत बच्चों, विद्यार्थियों, के मन-मष्तिष्क में अशांति का अन्त औऱ शांति की स्थापना करने एवं शार्प माइंड (sharp mind) बनाने के लिए यह अद्भुत आयुर्वेदिक ओषधि है।
मन को मस्त बनाएं-
इसमें ■आंवला, ■सेव, ■गुलकन्द
■हरड़ मुरब्बे का मिश्रण है।
जो पेट के लिए ज्वलनशील नहीं है।
“आयुर्वेद और स्वास्थ्य“ के अनुसार
सफलता व अनुशासन के लिए मानसिक सुकून,तनावरहित एवं वेफ़िक्र होकर स्वस्थ्य रहना आवश्यक है।
मनोविज्ञानी रिसर्च के हिसाब से तन-मन से प्रसन्न खुश व्यक्ति दूसरे लोगों की अपेक्षा
65 से 80 प्रतिशत शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण कर नित्य व्यायाम करने वाले
30 से 35 प्रतिशत अधिक मेहनत
करने में सक्षम होते हैं ।
भय को भगाओ-
© ज्यादा तनावग्रस्त लोग 95 फीसदी
सफल नहीं हो पाते।
© 49 फीसदी लोग तनाव के कारण
नोकरी छोड़ देते हैं
© अस्वस्थ आदमी 5 घंटे से ज्यादा काम
करने पर थकावट महसूस करता है।
करें– “डिप्रेशन” का “ऑपरेशन”
■■■ अशान्ति का अन्त ……■■■….
से तन औऱ मन उत्तरोत्तर शुद्ध होते जाते हैं।
3 माह तक नियमित सेवन करने से यह बिचलित,भटकते एवं मलिन मन पर नियंत्रण
कर लेता है। मन सत्व गुण से प्रभावित होने लगता है।इसके उपयोग से हमारी मूल चेतना या आत्मा की झलक मन पर पड़ती है,
तो मन सात्विक तथा अच्छा हो जाता है।
आयुर्वेद में ब्राह्मी,शंखपुष्पी को सर्वश्रेष्ठ सात्विक जड़ी कहा है जो मन व मानसिक विकार उत्पन्नकरने वाली ग्रन्थियों को फ़िल्टरकर अवसाद (डिप्रेशन) से मुक्त कर देती हैं। इसमें मिलाया मुरब्बा मेटाबोलिज्म
व पाचन क्रिया ठीक करने में मदद करता है।
जड़ीबूटियों के प्रकाण्ड जानकर आयुर्वेदाचार्य
श्री भंडारी के अनुसार पेट की खराबी
से ही मन की बर्बादी होती है। अनेक तरह के
ब्रेन की गोल्ड माल्ट & टेबलेट
एक बैलेंस हर्बल फार्मूला है इन दोनों में 50 से अधिक हर्बल मेडिसिन का मिश्रण है।
मन के अमन देने एवं तन को पतन से बचाने के लिए के लिए यह बहुत ही लाभदायक है।
अवसाद की आहट से बचने तथा
आयुर्वेद के ज्ञान वृद्धि हेतु “अमृतम“
की वेवसाइट पर पिछले लेखों का अध्ययन करें
शान्ति का साम्राज्य-
आयुर्वेद और आध्यात्मिक आदेशो के अनुसार-
सुख-दुःख भुगतकर ही मन-मस्तिष्क की मलिनता को मिटाया जा सकता है।
सुख-दुःख जब शुद्ध होकर आदमी को अप्रभावितकरने लगें, तभी समझना चाहिए हम अवसाद से मुक्त हैं। हमारा तन-मन में,तभी शान्ति की स्थापना हो पाती है।
“ब्रेन की गोल्ड”
मन को प्राणेंद्रियों यानि कर्मेंद्रियों के प्रभाव
से मुक्त कर ब्रेन को चेतन्य करता है।
कॉस्मिक आइडिएसन से चेतना
शक्ति,ऊर्जा-उमंग भर देता है। इससे पुराने निगेटिव विचार तेजी से नष्ट होने लगते हैं।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट & टेबलेट “डिप्रेशन का ऑपरेशन” करने वाली 24 कैरेट गोल्ड दवाई है। ब्रेन को प्रभावशाली बनाने वाली केमिकल रहित हर्बल ओषधि है।
बुद्धि की अभिवृद्धि हेतु विलक्षण है।
(ब्राह्मी,शंखपुष्पी, बादाम,मुरब्बा युक्त)
निगेटिव सोच से उत्पन्न ‘अशान्ति का अन्त” करने वाली एक हर्बल मेडिसिन बुद्धि में बाधक,विकारों का जड़मूल से नाश करता है
ऊर्जा,उमंग,उत्साहवर्द्धक देशी दवा है जो
बुद्धि का बल बढ़ाकर दिमाग के हर भाग को झंकृत कर देती है।
गुणवत्ता युक्त जड़ीबूटियों तथा प्राकृतिक
ओषधियों के काढ़े से बनी यह दवा दिमागी
कोशिकाओं को जीवित व जाग्रत कर मन प्रसन्न,तन तरोताज़ा बनाती है।
प्राकृतिक प्रयास–
आसन का अभ्यास,अनुभव से भी व्यक्ति असंतुलित,अवसादग्रस्त मन को कंट्रोल कर सकता है।
सेवन विधि,परहेज,पथ्य-अपथ्य,हानि लाभ,
डिप्रेशन दूर करने वाले अन्य उपाय
ब्रेन की गोल्ड माल्ट
बस,सुबह खाली पेट 2 से 3 चम्मच तथा 1 या 2 टेबलेट गर्म दूध से लें, अन्यथा इसे चाय व पानी के साथ भी लिया जा सकता है।
रात में भी ऐसे ही सेवन करें।
बिना प्रयत्न के तन-मन और मस्तिष्क को प्रसन्न रखने वाली बुद्धि की शुद्धि के लिए बुद्धिवर्धक तथा दिमाग को शुद्ध करने वाली आयुर्वेदिक दिमागी दवा है। जिसके उपयोग से
“अमृतम” के परिश्रम व जतन एहसास हो जाएगा। ब्रेन की गोल्ड माल्ट
को बनाने की प्रक्रिया भी बहुत कठिन है।
पुरानी परम्पराओं की पध्दति के हिसाब से इसके निर्माण में लगभग एक माह का समय लगता है। यह हीनभावना अवसाद (डिप्रेशन) बहुत जल्दी दूर करता है। यह नकारात्मक सोच को सकारात्मक बनाकर जिंदगी की दिशा बदलने में सहायता करता है।
■ भय-भ्रम, क्रोध, किच-किच,चिन्ता,फिक्र,तनाव, होता ही नहीं है।
इसका सेवन जीवन की धारा,विचारधारा एवं
आपका नजरिया बदलकर भटकाव,भय-भ्रम
मिटा देता है। आप जो बनना चाहते हैं या आत्मबलशाली होने एवं बल-बुद्धि की वृद्धि के लिये“ब्रेन की गोल्ड माल्ट”
जैसी अमृतम दवाएँ बहुत जरूरी है। इसे अपने
“आफिस स्पेस में साथ रखें।
बड़े-बुजुर्ग कहते हैं-
चिन्ता,चिता जलाए,चतुराई घटाए।
ब्रेन की का सेवन करें एवं सदा खुश रहें।
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S k chauhan – :
Sir ji humko nind nahi aati hai kya aap ke paas nind ki dabai hai mancic tanav
Amrutam – :
Namaste Sir,
Yes, we would recommend you to use Brainkey Gold Malt
Narendar chiman bhai vaghela – :
Mujhe 45 salse depression hai angreji dawa bahut khahi par thik nahi hua ab roj ka ghar ka kam karne mein mushkil hoti hai wehum bahut aate hai dar laga rehta hai
Narendar chiman bhai vaghela – :
Mujhe 45 sal se depression hai angreji dawa bahut khahi par thik nahi hua ab roj ka ghar ka kam karne mein mushkil hoti hai wehum bahut aate hai dar laga rehta hai
Sandeep – :
Mujhe nind Ki Goli Khaye bina nind nhi aati or anxiety bhi Bahut Hoti h.har waqt ghabraht Si BNI rahti h.har waqt deemag me kuch na kuch tention Si rahti h.kbhi lgta h.sarir Sr Jaan Si nikl rahi h.kbhi lgta h.dil Ni dhadkra K hi kuch kuch mahsus hi hota rahta h.
Janakkumar G Padshala – :
Dipression Last 12 years
Sandeep Kumar Patel – :
Mai dipration ka sikar hu kafi dino se dawai le raha hu fir bhi aaram nahi mil raha hai mai bahut jayada parisaan hu mai kya karu kuch samagh me nahi aata please help me
Manish Kumar sharma – :
I am suffering from anxiety and depression ago 7 years .. and I am taking sleeping pills from 6 years…
Sanjay – :
Give more detail about yourself
ganesh thapa – :
मुझे 2 साल पूरा होग्या अनिद्रा हे अगर रात भर नहि सोया त्यो दिन को भि नहि आति निद्रा अगर रात को सोनेकी लिय झाता हु त्यो निद नहि आति पत्ता नहि चलता जब 3 चार घण्टा मे उठ झाता हु त्यो मेरि गो लाग्ता हे मै सोया नहि हु
Prakash Yadav – :
I’m suffering from anxiety and insomnia. And I’m taking allopathic medicine last 6 yrs please give me right suggestions and permanent treatment in ayurveda
Ramesh – :
I want amrutam
Naresh kumar – :
Mujhe OCD hai or me anti depressed medicine leta hu .. kya me apke wale product bhi le sakta hu kya?
Ramakant yadav b – :
Depression or ghabraht bni rhti h hmesa
Ramakant yadav b – :
Mujhe ghabraht or dispersion 2 sal se h Dr lgta h gande vichar aate h
Manmeet Singh – :
I want to buy this product
Kunaram choudhari – :
एक हि ख्याल आता है
Ramesh – :
Fil depressed
Sanjogita sharma – :
Muje 15 sal se depression hai angreji dawa bahut khahi par thik nahi hua ab roj ka ghar ka kam karne mein mushkil hoti hai wehum bahut aate hai dar laga rehta hai
GAJENDRA YADAV – :
anidra aur tanav ki pareshani hai mujhe angreji davayaen 6varsh se lagatar kha raha hun khana band karne par pareshani hoti sthai ilaj batayen